रक्षा प्रौद्योगिकी में आत्मनिर्भरता की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए, भारतीय सेना ने आईआईटी मद्रास परिसर में भारतीय सेना अनुसंधान प्रकोष्ठ (आईएआरसी) 'अग्निशोध' की स्थापना के लिए भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) मद्रास के साथ हाथ मिलाया है। इस अनुसंधान सुविधा का औपचारिक उद्घाटन थल सेनाध्यक्ष (सीओएएस) जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने अपनी दो दिवसीय चेन्नई यात्रा के दौरान किया गया।
यह पहल भारतीय सेना के व्यापक परिवर्तन ढांचे का हिस्सा है, जो सीओएएस द्वारा व्यक्त परिवर्तन के पांच स्तंभों द्वारा निर्देशित है और अग्निशोध विशेष रूप से आधुनिकीकरण और प्रौद्योगिकी सम्मिश्रण के एक मजबूत कदम को आगे बढ़ाता है और वास्तविक समय परिचालन अनुप्रयोगों के साथ अकादमिक अनुसंधान को सहजता से एकीकृत करने के भारतीय सेना के प्रयास का प्रतिनिधित्व करता है।
आईआईटी मद्रास में "ऑपरेशन सिंदूर - आतंकवाद के खिलाफ भारत की लड़ाई में एक नया अध्याय" विषय पर आयोजित एक सभा को संबोधित करते हुए,थल सेनाध्यक्ष जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने इस ऑपरेशन को एक ऐतिहासिक, खुफिया जानकारी से प्रेरित प्रतिक्रिया बताया जिसने भारत के आतंकवाद-रोधी सिद्धांत को नई परिभाषा दी। उन्होंने कहा कि 88 घंटे का यह ऑपरेशन अपने पैमाने, विस्तार, गहराई और रणनीतिक प्रभाव के मामले में अभूतपूर्व था और इसे डाइम स्पेक्ट्रम के विभिन्न क्षेत्रों में अंजाम दिया गया। युद्ध की बदलती प्रकृति पर प्रकाश डालते हुए, उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि भारतीय सशस्त्र बल गैर-संपर्क युद्ध, रणनीतिक गति और मनोवैज्ञानिक प्रभुत्व से प्रेरित पाँचवीं पीढ़ी के संघर्षों के लिए तैयार हैं। "स्वदेशीकरण से सशक्तिकरण" के तहत आत्मनिर्भरता के प्रति भारतीय सेना की प्रतिबद्धता पर ज़ोर देते हुए, उन्होंने इंडिया AI , चिप-टू-स्टार्टअप और प्रोजेक्ट QULIA जैसे राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी मिशन के तहत प्रमुख सहयोगों की रूपरेखा प्रस्तुत की, जिसमें एमसीटीई महू एक रणनीतिक साझेदार है। उन्होंने आईआईटी दिल्ली, आईआईटी कानपुर और आईआईएससी बेंगलुरु में भारतीय सेना प्रकोष्ठों द्वारा शैक्षणिक नवाचारों का उपयोग करके शुरू की गई परियोजनाओं की सराहना की। रक्षा अनुसंधान में उत्कृष्टता के लिए आईआईटी मद्रास की सराहना करते हुए, उन्होंने कहा कि प्रोजेक्ट संभव और आर्मी बेस वर्कशॉप के साथ मिलकर मैन्युफैक्चरिंग साझेदारी जैसी पहल एक नए मानक स्थापित कर रही हैं। उन्होंने यह कहते हुए समापन किया कि नया आईआईटीएम-भारतीय सेना अनुसंधान केंद्र, अग्निशोध, अकादमिक उत्कृष्टता को युद्धक्षेत्र नए विकसित स्वरूप में बदल देगा और विकसित भारत 2047 की ओर भारत की यात्रा को सशक्त बनाएगा।
अग्नि शोध सहयोग आईआईटी मद्रास रिसर्च पार्क तक विस्तारित होगा, जहाँ यह उन्नत विनिर्माण प्रौद्योगिकी विकास केंद्र (एएमटीडीसी) और प्रवर्तक टेक्नोलॉजीज फाउंडेशन जैसी संस्थाओं के साथ मिलकर काम करेगा। यह प्रयोगशाला-स्तरीय अनोखा प्लेटफॉर्म रक्षा क्षेत्र के पूर्ण विकसित प्रौद्योगिकियों में बदलने के लिए एक अद्वितीय मंच के रूप में कार्य करेगा।
इसके अतिरिक्त, अग्निशोध मिश्रित मैन्युफैक्चरिंग, साइबर सुरक्षा, क्वांटम कंप्यूटिंग, वायरलेस संचार और मानव रहित हवाई प्रणालियों जैसे प्रमुख उभरते क्षेत्रों में सैन्य कर्मियों के कौशल विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा और सशस्त्र बलों के भीतर एक तकनीकी रूप से सशक्त मानव संसाधन आधार का निर्माण करेगा।
जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने अधिकारी प्रशिक्षण अकादमी (ओटीए) का भी दौरा किया, जहां उन्हें अकादमी के बुनियादी ढाँचे, आधुनिक प्रशिक्षण पद्धतियों और समकालीन चुनौतियों के लिए भावी सैन्य नेताओं को तैयार करने हेतु की गई पहलों की जानकारी दी गई। उन्होंने उत्कृष्टता को बढ़ावा देने और कैडेटों में मूल सैन्य मूल्यों को स्थापित करने में अनुदेशात्मक कर्मचारियों के प्रयासों की सराहना किया। अपने संबोधन के दौरान, सीओएएस ने भारतीय सेना की परिवर्तनकारी यात्रा पर प्रकाश डाला, जिसमें ग्रे जोन संघर्षों, तकनीकी लोकतंत्रीकरण और एकीकृत प्रतिक्रियाओं की आवश्यकता द्वारा चिह्नित युद्ध के बदलते चरित्र को रेखांकित किया गया। ऑपरेशन सिंदूर पर विचार करते हुए, उन्होंने कहा कि तीनों सेनाओं के आक्रमण ने भारत की सटीक, दंडात्मक और समन्वित कार्रवाई करने की क्षमता को प्रदर्शित किया, जिसने पाकिस्तान को 88 घंटों के भीतर युद्ध विराम की मांग करने के लिए मजबूर किया। उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि भविष्य के संघर्षों में पारंपरिक शक्ति और आधुनिक क्षमताओं के मिश्रण की आवश्यकता होगी।
सेना प्रमुख ने पूर्व सैनिकों के एक समूह से भी बातचीत की और राष्ट्र एवं सशस्त्र बलों के प्रति उनके योगदान को सराहा। इस अवसर पर, उन्होंने चार विशिष्ट पूर्व सैनिकों को उनकी निस्वार्थ सेवा और राष्ट्र निर्माण के प्रति निरंतर प्रतिबद्धता के सम्मान में वेटरन अचीवर्स पुरस्कार से सम्मानित किया।