कई मार्केट एक्सपर्ट का कहना है कि धीरे-धीरे लेकिन निश्चित रूप से ट्रम्प अपने पत्ते खेल रहे हैं और उनके टैरिफ अब अपना असर खो रहे हैं, चूँकि आईटी सेवाओं पर टैरिफ नहीं लगाया जा सकता था, इसलिए H1B के ज़रिए इसे प्रभावित किया गया, जेनेरिक दवाओं पर भी टैरिफ नहीं लगाया जा सकता, यूरोप को छोड़कर ब्रांडेड और पेटेंटेड दवाओं पर 100% टैरिफ लगाया गया, अब शायद अगला टैरिफ सेमीकंडक्टर और इलेक्ट्रॉनिक्स, उच्च मूल्य वाले स्मार्टफोन को छोड़कर व्हाइट गुड्स यानी बड़े घरेलू उपकरण हैं, जिनमें रेफ्रिजरेटर, वाशिंग मशीन, डिशवॉशर, ओवन और ड्रायर शामिल हैं, जो आवश्यक घरेलू कार्य करते हैं और मूल रूप से सफेद एनामेल में लेपित होते हैं, उन सभी पर लगाया जाएगा जिससे मोदी सरकार के प्रति भारत की जनता के मन में गुस्सा पैदा हो सके।
भारतीय अर्थव्यवस्था में और ज्यादाअराजकता फैलाना, निवेशकों का विश्वास तोड़ना, श्रम-प्रधान क्षेत्रों पर भरी भरकम टैरिफ से प्रहार करके अगली कुछ तिमाहियों में बड़े पैमाने पर बेरोज़गारी पैदा करना। भारत सरकार को झुकाना या लोगों को नाराज़ करना/सरकार के ख़िलाफ़ करना, अमेरिका की बस यही योजना है, बहरहाल, देश के व्यापक हित में सरकार जो भी फैसला ले रही है, भारत की जनता पूरी तरह से भारत सरकार के साथ खड़ी दिखाई दे रही है इसलिए भारत सरकार को अपनी कमजोरियों या निर्भरता को कम करने के लिए सेमीकंडक्टर और इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में आत्मनिर्भरता के प्रयासों को तेज़ करना होगा। घरेलू विनिर्माण को मज़बूत करने से बाहरी झटकों को झेलने और रोज़गार की रक्षा करने में मदद मिलेगी जिससे ट्रम्प के आर्थिक दबाव के खेल में भारत असहाय नहीं रहेगा।
पहले अमेरिका ने भारत को पाकिस्तान के साथ युद्ध में उलझाने की कोशिश किया लेकिन इसका उल्टा असर हुआ और भारत उस युद्ध में निर्णायक साबित हुआ एवं साथ में ही पूरी दुनिया में उसकी विश्वसनीयता में भी इजाफा हुआ इसलिए फिर ट्रंप ने भारत के कुछ विपक्ष के नेताओं के साथ मिलकर मोदी को सरेंडर मोदी कहकर मोदी और भारत की छवि खराब करने की कोशिश किया और नई रणनीति बनाई कि भारत पर एक साथ आर्थिक मोर्चे पर टैरिफ हमला किया जाए और साथ ही मोदी की चुनावी जीत को फर्जी बताया जाए, चुनाव आयोग को कमजोर किया जाए जिससे बड़े पैमाने पर भारत में अशांति फैलाई जा सके लेकिन इसका भी कुछ खास असर नहीं हुआ इसलिए अब सरकार को तीन-सूत्री रणनीति अपनाकर जवाब देना चाहिए जिसमे घरेलू विनिर्माण और चिप्स को बढ़ावा देना , निर्यात बाजारों और मुक्त व्यापार समझौतों (FTA) में विविधता लाना , नौकरियों की सुरक्षा के लिए तेजी से पुनर्कौशल और वेतन समर्थन प्रदान करें एवं साथ ही, संरक्षणवाद का विरोध करने के लिए विश्व व्यापार संगठन और सहयोगी साझेदारों के साथ कूटनीति का इस्तेमाल करना चाहिए।
भारत की अर्थव्यवस्था और नौकरियों की रक्षा करने वाले निर्णायक कदमों पर आम जनता को भारत सरकार का समर्थन करना चाहिए क्योंकि मोदी सरकार की लड़ाई एक दिन देश को आत्मनिर्भर बना देगी जो आनेवाले भारत का सुनहरे भविष्य का निर्माण करेगा।