अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बड़ा ऐलान किया और कहा कि 1 अक्टूबर 2025 से ब्रांडेड और पेटेंटेड दवाओं पर 100% टैरिफ लगेगा और टैरिफ से छूट केवल उन कंपनियों को ही मिलेगी, जो अमेरिका में फार्मा प्लांट बना रही हैं एवं ट्रंप ने सीधे और सरल शब्दों में कहा कि “निर्माण शुरू किया तो टैरिफ नहीं लगेगा।
भारत के लिए यह बड़ा झटका है क्यूंकि :-
भारत ने 2024 में अमेरिका को $3.6 बिलियन (₹31,626 करोड़) की दवाइयाँ एक्सपोर्ट कीं।
सिर्फ 2025 के पहले छह महीनों में ही यह आँकड़ा $3.7 बिलियन (₹32,505 करोड़) पहुंच गया।
भारत पर इस नीति का संभावित असर:
1. दवा निर्यात पर भारी आघात लगा है क्योंकि भारत अमेरिका को दवाइयों का एक बड़ा निर्यातक है जिसमे 2024 में लगभग $3.6 बिलियन की दवाइयां अमेरिका भेजी गईं। यदि 100% टैरिफ लगा दी जाए, तो भारतीय दवाएँ महँगी हो जाएँगी या अमेरिकी बाजार में बेचना मुश्किल हो जाएगा।
2. ब्रांडेड दवाओं की बिक्री पर संकट सामने दिखाई दे रहा है क्योंकि ट्रम्प का टैरिफ मुख्य रूप से ब्रांडेड / पेंटेंटेड दवाओं पर है इसलिए अगर भारतीय कंपनी ब्रांडेड दवाएँ अमेरिका भेजती हैं, तो उन्हें बहुत अधिक टैरिफ देना होगा, जिससे उनका प्रतिस्पर्धात्मक मूल्य बढ़ जाएगा।
अमेरिका का फैसला भारत के फार्मा सेक्टर के लिए निश्चित रूप से बड़ा झटका है। भारत ने पिछले वर्षों में अमेरिका को दवाइयों के निर्यात में जबरदस्त बढ़ोतरी दिखाई है, और सिर्फ छह महीनों में $3.7 बिलियन का आंकड़ा इसके महत्व को दर्शाता है।
लेकिन यह चुनौती भारत के लिए अवसर भी पेश करती है—देश में फार्मा निर्माण और उत्पादन को बढ़ावा देने, स्थानीय प्लांट स्थापित करने और आत्मनिर्भरता की दिशा में कदम बढ़ाने का। अगर भारतीय कंपनियां अमेरिका में उत्पादन शुरू करती हैं या घरेलू उत्पादन क्षमता बढ़ाती हैं, तो यह दीर्घकाल में भारत की दवा उद्योग की प्रतिस्पर्धा और वैश्विक पकड़ मजबूत कर सकता है।
इसलिए, यह समय केवल चिंता का नहीं, बल्कि रणनीतिक सोच और नवाचार का है। भारत के वैज्ञानिक, उद्यमी और उद्योग इस चुनौती को अवसर में बदल सकते हैं और वैश्विक फार्मा मार्केट में अपनी मजबूती बनाए रख सकते हैं।