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नेपाल सरकार का गोली मारने का आदेश
नेपाल:
नेपाल सरकार ने प्रदर्शनकारियों द्वारा संसद भवन में आग लगाने के बाद देखते ही गोली मारने का आदेश दिया है और नेपाल सरकार ने हाल ही में 26 सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर प्रतिबंध लगा दिया है, मार्च 2025 से, नेपाल में राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी जैसे समूहों के नेतृत्व में राजशाही समर्थक विरोध प्रदर्शनों ने राजनीतिक अस्थिरता को और बढ़ावा दिया है, जिसमें सरकार ने पूर्व राजा ज्ञानेंद्र शाह पर हिंसा भड़काने का आरोप लगाया है, जिसमें प्रतिनिधि सभा में जुर्माना और गिरफ्तारी की मांग के साथ समर्थन दिया गया है।
सरकार के खिलाफ युवाओं का गुस्सा फूटा है जो सड़क से संसद तक विद्रोह की गूंज से दहल रहा है और नेपाल के संसद भवन में घुसे प्रदर्शनकारी, तोड़फोड़-आगजनी के साथ 9 लोगों की मौत नेपाली मीडिया द्वारा बताया जा रहा है, भ्रष्टाचार और सोशल मीडिया बैन के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे जेन-जी यानी 18 से 30 साल के युवा संसद भवन परिसर में घुस गए और काफी उग्र हो गए जिससे पुलिस को प्रदर्शनकारियों को रोकने के लिए ने आंसू गैस के गोले दागे और पानी की बौछार करना पड़ा वहीँ कुछ नेपाली मीडिया का कहना है कि ओली ने करप्शन से ध्यान भटकाने के लिए भारत से बॉर्डर विवाद को हवा दी जिसमे वह लिपुलेख का मुद्दा काठमांडू से लेकर बीजिंग तक उठाया फिर बात नहीं बनी तो सोशल मीडिया पर बैन लगा दिया जिससे सोशल मीडिया के माध्यम से ओली सरकार के खिलाफ बनते नैरेटिव पर अंकुश लगाया जा सके इसलिए सोशल मीडिया को बैन किया गया।
इस GenZProtest की आग में झुलसते नेपाल में विद्रोह का बिगुल बज चुका है जिसमे काठमांडू से लेकर पोखरा और विराटनगर से लेकर बीरगंज तक युवा सड़कों पर आ गए हैं जो अब ओली सरकार पर भारी पड़ रहे हैं और बेकाबू प्रदर्शन पुलिस नियंत्रण से बाहर जा चुका है जिससे नेपाली सरकार की जड़ें हिल चुकी हैं और नेपाल में हो रहे पूरे घटनाक्रम पर भारत सरकार की भी नजर है।
OHCHR के एक संयुक्त राष्ट्र विशेषज्ञ के अनुसार, नेपाल का "देखते ही गोली मारने" का दुर्लभ आदेश अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार कानून का उल्लंघन करता है, जिसमें कहा गया है कि घातक बल का प्रयोग केवल आत्मरक्षा के लिए ही स्वीकार्य है, जिससे बढ़ती हिंसा के बीच मानवता के विरुद्ध संभावित अपराधों के बारे में चिंताएं बढ़ गई हैं।
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