ट्रम्प, H-1B कर्मचारी वीजा के लिए 100,000 डॉलर का शुल्क लगाएंगे, वह H-1B वीज़ा आवेदन के लिए 100,000 डॉलर का नया अनिवार्य शुल्क लागू करने वाले एक घोषणापत्र पर हस्ताक्षर किया है जबकि वर्तमान शुल्क लगभग 1,000-5,000 डॉलर है और H-1B वीज़ा वाली कंपनियों पर $100,000 का वार्षिक शुल्क लगाने का आदेश जारी किया है जो नए आवेदनों और नवीनीकरण दोनों पर लागू होता है।
इस कदम से कई अमेरिकी कंपनियों के लिए अमेरिका में विदेशी कर्मचारियों को नियुक्त करना लगभग असंभव हो सकता है और कर्ज में डूबा अमेरिका भी इसके प्रभाव से अछूता नहीं रहेगा जैसे :
- अमेरिका में नियुक्ति की लागत में वृद्धि होगी।
- अमेरिका में अमेरिकी नागरिकों और GC धारकों के लिए रोजगार दर में वृद्धि देखी जाएगी।
- अमेरिका को कुशल संसाधनों की उपलब्धता में कमी का सामना करना पड़ेगा।
- उभरते देशों में वैश्विक आउटसोर्सिंग में वृद्धि होगी, जिससे भारत को लाभ होगा और हर देश जहाँ कम लागत वाले संसाधन उपलब्ध हैं वे लाभान्वित होंगे।
- कनाडा/मेक्सिको/पैन एम/लैटिन अमेरिकी क्षेत्रों (अमेरिकी समय क्षेत्र) में उच्च प्रवासन बढ़ेगा।
- अमेरिका में शेयर बाजार और रियल एस्टेट बाजार अल्पावधि (2-12 महीनों) में गिर सकता है, क्योंकि H1B धारक अपने घर बेचकर अपने मूल देशों को लौट जाएँगे।
कुछ जानकारों का कहना है कि सही मायने में देखा जाए तो H-1B प्रतिभाओं ने नौकरियाँ नहीं चुराईं बल्कि उन्होंने सिलिकॉन वैली, नासा, AI लैब, चिप डिज़ाइन, मेडिकल टेक्नोलॉजी और वॉल स्ट्रीट एल्गोरिदम बनाए और H-1B वीजा का शुल्क बढ़ाने से नौकरियां कनाडा और मेक्सिको चली जाएँगी क्योंकि कंपनियाँ H1B के लिए इतनी बड़ी रकम नहीं दे सकतीं एवं लगता है कि यह वीजा शुल्क 1,00,000 डॉलर एक समग्र प्रस्ताव है, लेकिन इसका इस्तेमाल केवल बातचीत के लिए किया जा सकता है। डोनाल्ड ट्रंप का H-1B वीजा के लिए 1,00,000 डॉलर का भरी शुल्क अमेरिकी नवाचार को रोक देगा और इससे भारत के नवाचार को गति देगा। वैश्विक प्रतिभाओं के लिए दरवाज़ा बंद करके, अमेरिका प्रयोगशालाओं, पेटेंटों, नवाचारों और स्टार्टअप्स की अगली लहर को बैंगलोर, हैदराबाद, पुणे और गुड़गांव की ओर धकेल रहा है। भारत के बेहतरीन डॉक्टरों, इंजीनियरों, वैज्ञानिकों और नवप्रवर्तकों के पास विकसित भारत की दिशा में भारत के विकास और प्रगति में योगदान देने का अवसर मिलेगा जिससे अमेरिका का नुकसान हो सकता है तथा भारत के लिए लाभकारी सिद्ध होगा।
इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री कार्यालय 23 सितंबर २०२५ को एक उच्च-स्तरीय बैठक आयोजित करेगा जिसमें भारत की अपनी चार बड़ी लेखा फर्मों के गठन पर चर्चा की जाएगी जिसका उद्देश्य वैश्विक दिग्गजों पर निर्भरता कम करना और सरकार घरेलू फर्मों को आगे बढ़ने में मदद के लिए नियमों में ढील दे सकती है। इस बैठक की अध्यक्षता प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव करेंगे, जिसमें वित्त एवं कॉर्पोरेट मामलों के अधिकारी उपस्थित रहेंगे।
भारतीयों का कहना है कि प्रतिभा किसी भी देश की सबसे बड़ी संपत्ति होती है इसलिए भारत के आईआईटी, आईआईएम, एनआईटी और कई अन्य इंजीनियरिंग कॉलेजों से अमेरिका गए प्रतिभावान छात्रों के चार दशकों में से कम से कम एक तिहाई छात्र, अनुभव - सर्वोत्तम आईपी - सर्वोत्तम मानक - सर्वोत्तम प्रथाओं के साथ एक एक्सपर्ट बनाकर वापस आएंगे:-
- वे भारतीय स्टार्टअप, भारतीय रियल एस्टेट और भारतीय व्यवसायों में पैसा लगाएंगे।
- उभरते देशों में वैश्विक आउटसोर्सिंग में वृद्धि होगी, जिससे भारत को लाभ होगा।
- रुकिए और देखिए, अगला दशक भारत का सर्वश्रेष्ठ होगा !!
अमेरिका में सबसे ज़्यादा H1B वीज़ा पाने वाले देश :-

भारत - 72.6%

चीन - 12.5%

कनाडा - 1%

दक्षिण कोरिया - 0.9%

फ़िलीपींस - 0.8%