चेन्नई :
भारत देश अपने विकसित भारत की गाथा को लिखते हुए अब और एक पायदान ऊपर चढ़ गया है और दुनिया को दिखा दिया कि भारत सिर्फ विकास की अंधी दौड़ नहीं दौड़ रहा है बल्कि वह विकास के साथ साथ देश की संस्कृति , धरोहर और पर्यावरण को भी सुरक्षित कर रहा है और इसी क्रम में भारतीय रेलवे ने एक और बड़ी उपलब्धि हासिल की है जो चेन्नई की इंटीग्रल कोच फैक्ट्री (ICF) में भारत की पहली हाइड्रोजन चालित ट्रेन के कोच (ड्राइविंग पावर कार) का परीक्षण सफलतापूर्वक संपन्न किया और इस सफल परिक्षण से पूरा देश गौरवान्वित हुआ जिससे देशभर के यात्रियों में ख़ुशी की लहार दौड़ पड़ी और आनेवाले समय में बहुत जल्द वे एक प्रदूषण मुक्त हाइड्रोजन चालित ट्रेन के कोच (ड्राइविंग पावर कार) से सफर करेंगे एवं भारतीय रेलवे के एक और शानदार उपलब्धि में शामिल यह ट्रेन आधुनिक और पर्यावरण के अनुकूल तकनीक पर काम करेगी। जर्मनी, फ्रांस, स्वीडन और चीन के बाद अब भारत भी अपनी विकासशीलता की चमक दुनिया को दिखा दिया है जिससे दुनिया का भारत की तरफ देखने का नजरिया पूरी तरह बदल गया है।
इस हाइड्रोजन ट्रेन की तकनिकी की बात करें तो यह हाइड्रोजन ट्रेन 1,200 हॉर्स पावर (HP) की ताकत के साथ बनाई गई है जो दुनिया की सबसे शक्तिशाली हाइड्रोजन ट्रेनों में से एक विशेष दर्जा दिलाती है और ट्रेन की विशेषता यह है कि यह हाइड्रोजन और ऑक्सीजन को मिलाकर बिजली पैदा करती है एवं इसका एकमात्र उप-उत्पाद पानी और भाप है। हम कह सकते है यह पूरी तरह मेक इन इंडिया का नायाब तोहफा है क्योंकि यह कोच पूरी तरह से भारत की तकनीक से बनाया गया है।
भारतीय रेलवे ने इस हाइड्रोजन ट्रेन को बुलेट ट्रेन के बाद पहली हाइपरलूप टेस्ट ट्रैक 422 मीटर लंबी IIT मद्रास की मदद से तैयार किया है जो देश को हाइड्रोजन ट्रेन तकनीक में अग्रणी बनने की दिशा में एक मजबूत कदम है।