मुंबई, मनपा मे पिछले कई वर्षो मे सबसे ज्यादा बदनाम और अंतहीन आर्थिक घोटाला मिठी नदी सफाई के नाम पर किया जा रहा था जिसमे अब महाराष्ट्र की एजेंसी EOW के जांच के आधार पर केंद्रीय ऐजेंसी ED ने ECIR दर्ज कर आगे की जांच शुरू की गई और अब तक EOW की जांच मे 65.54 करोड रूपए का घोटाला पाया गया जिसमे पांच निजी ठेकेदारों और तीन BMC अधिकारियों सहित 13 लोगो पर मामला दर्ज किया गया है और ED इन लोगो पर मनी लांड्रिंग की जांच शुरू कर दिया है और आगे की जांच के लिए उपर्युक्त लूटकांड मे शामिल सभी एजेंसियो के अधिकारियों सहित ठेकेदारों को बुलाएगी।
उपर्युक्त एजेंसिया मीठी नदी निर्जलीकरण के लिए जारी 1100 करोड रूपए के कांट्रेक्ट की जांच की जा रही है जिसमे 18.64 KM लंबे मीठी नदी के दोनो तरफ फैले आवासीय स्लम एंव इंडस्ट्रियल एरिया के लोगो द्वारा डाले गए कचरे और नदी की गाद को साफ करना था।
EOW की SIT ने जब 2021-22 और 2022-23 ने गाद ट्रांसपोर्टेशन लाॅगसीट और डंपिंग ग्राउंड के MOU की जांच शुरू किया था तब पता चला कि ठेकेदारो द्वारा फर्जी बिलों और 9 MOU के दस्तावेज जमा करके मनपा से करोडो रूपए निकाले गए और साबित हुआ कि इस फर्जीवाड़े मे बीएमसी अधिकारी, बिचौलिया और ठेकेदार तीनो का मजबूत नेक्सस है जिससे करोडो रूपए के घोटाले को अंजाम दिया जा रहा था।
EOW के तहत स्थापित SIT के इंस्पेक्टर बिलाल शेख ने प्रारंभिक जांच के लिए FIR दर्ज करवाया था जिसके बाद बिचौलिए वोडर इंडिया एलएलपी कंपनी के मालिक केतन कदम और विरगो स्पेशलिटीज प्रायवेट लिमिटेड कंपनी के मालिक जय जोशी को सबसे पहले गिरफ्तार किया था एंव JRS Infrastructure के मालिक भूपेंद्र पुरोहित से भी पूछताछ शुरू है और इनके ऑफिस और घर पर रेड के समय आपत्तिजनक दस्तावेज मिले जिसमे मुख्य बात यह थी कि डीसिल्टींग का टेंडर पब्लिक होने से पहले ही SWD की फाइनल टेंडर की प्रति उनके ऑफिस मे पाई गई जिससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि इनके पहुंच की धमक की तेज कितनी तगडी थी और मीठी नदी सफाई वित्तीय लूटकांड मे सबसे बडी भूमिका मनपा अभियंता प्रशांत रामगुडे, गणेश बेंद्रे और तायशेट्टे की थी लेकिन इन भ्रष्टाचार बहादुरो की हिम्मत देखिए सिल्ट पुशर मशीन और Multipurpose amphibious मशीन को खरीदने के लिए मनपा ने भेजा था लेकिन इन अधिकारियो ने बिचौलिओं के साथ मिलकर भ्रष्टाचार का ऐसा खेल खेला कि दो साल मे 3 करोड के मशीन का भाडा 4 करोड रूपए ले लिए जिसमे इनको मोटा कमीशन मिला एंव EOW के अनुसार इन अधिकारियों ने साल 2019 से लेकर 2025 तक मीठी नदी से कीतनी गाद (Silt) या कचरा निकाला जाएगा इसका कोई लेखा जोखा नही बनाया था जबकि मनपा मे हर टेंडर निकालने से पहले उस काम का पूरा खाका तैयार किया जाता है लेकिन यहां पर मीठी नदी सफाई के नाम पर मनमानी भ्रष्टाचार किया जा रहा था और नाम न छापने पर कुछ SWD अधिकारियों ने बताया कि रामगुडे के व्यवहार के देखकर लगता था कि वह मनपा अधिकारी नहीं बल्कि कोई कांट्रैक्टर है और उसके अनियमितता की गतिविधियों को देखकर या सुनकर घबराते थे कि रामगुडे किसके कहने पर इतना डेरिंग कर रहा है और माना जाता है कि इस पर टोकने पर रामगुडे हंस कर बोलता था कि कुछ नहीं होता है, कुछ का मानना था कि रामगुडे ठेकेदारो के साथ पार्टनरशिप मे है लेकिन अब EOW और ED की जांच पड़ताल मे पता चलेगा कि बिचौलियों और ठेकेदारों के बीच रामगुडे की क्या सांठगांठ है हालांकि मीठी नदी सफाई मे हुए अनियमितता के खिलाफ रामगुडे का काफी शिकायत की गई थी लेकिन न तो रामगुडे पर कोई असर होता था और ना ही उसके उच्च अधिकारियों पर होती थी और तो और रामगुडे एक ही विभाग मे पिछले कई वर्षों से था जबकि दूसरे अधिकारियों का हर तीन साल मे तबादला होता है यानि रामगुडे के पास कोई तो बडा गॉडफादर है जो हमेशा उसको एक ही डिपार्टमेंट मे बैठा कर रखा था उसका नतीजा यह था कि यह मनपा अधिकारी मनपा की ड्यूटी करने बजाय ठेकेदारो के साथ मिलकर मीठी नदी की सफाई के नकली फोटो, दस्तावेजों के साथ साथ निकाली गाद का ज्यादा वजन दिखाकर मनपा के पैसे की लूट की गई एंव पहले गाद निकालने का प्रति मैट्रिक टन 1693/- रूपए था जिसको इन अधिकारियों ने ठेकेदारो को फायदा पंहुचाने के लिए प्रति मैट्रिक टन 2100 रुपए तक का भुगतान कर दिया था जिसका दक्षता विभाग द्वारा तीव्र विरोध करने पर पुराना रेट लगाया गया जिससे साबित होता है कि इन लोगो ने टेंडर की शर्तो का उल्लंघन ही नही मजाक भी बना दिया था।
ऐसा बताया जा रहा है कि इसमे नामित एक कांट्रैक्टर जिसका आधी मुंबई की डीसिल्टींग सिर्फ उसके अलग-अलग कंपनीज के नाम ही रहता है वह परिवार सहित विदेश मे फरार है और मामला ठंडा होने का इंतजार कर रहा है।