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FIR में नहीं लिखी जाएगी जाति
उत्तर प्रदेश:
इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने एक केस की सुनवाई के दौरान एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया जो निम्नलिखित है:-
➡ पुलिस रिकॉर्ड और एफआईआर में जाति का उल्लेख नहीं होना चाहिए।
➡ जाति के उल्लेख को असंवैधानिक बताया।
➡ उत्तर प्रदेश सरकार को एफआईआर प्रारूप में संशोधन का आदेश दिया।
➡ सार्वजनिक साइन बोर्ड से जाति हटाने का निर्देश दिया।
➡ जाति के महिमामंडन को राष्ट्र-विरोधी करार दिया।
अब देखना यह होगा है कि जाति पर आधारित पूरी भारतीय राजनीति इस फैसले को कैसे लेती है क्योंकि आजादी के बाद से ही जाति का पूरी तरह से राजनीतिकरण किया गया जिससे भारतीय समाज में आपसी मतभेद की दरार बढ़ती गई और यहां तक कि लोग एक दूसरे की जातियों से घृणा तक करने लगे लेकिन इस ऐतिहासिक फैसले से यह दूरी कम हो सकती है तथा जातिगत दुष्प्रचार करने वाले विपक्षी पार्टी के नेताओं के लिए एक झटका भी कहा जा सकता है।
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