Today Thursday, 21 August 2025

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​उड़ीसा में मिला कुबेर का खजाना


उड़ीसा :

भारत को कभी सोने की चिड़िया कहा जाता था यहाँ पर धन धान्य की कोई कमी नहीं थी लेकिन वैश्विक लुटेरों ने इस देश को बर्बरतापूर्ण लूटा और आज़ादी के बाद भी देश ढुलमुल तरीके से चल रहा था लेकिन अब परिस्थिति बदल गई है और कहते हैं कि ए देश की धरती सोना उगले, उगले हिरा मोती और अब इस गाने के सत्य की चरितार्थ करते हुए आज भी भारत की धरती सीना उगल रही है, जिन्हें समय के साथ जमीन के निचे दबे सोने के भंडार को खोजकर्ताओं ने खोजा है ऐसा ही एक उदाहरण उड़ीसा की यह खदान है, जिसे हाल ही में खोजकर्ताओं ने खोजा है।

भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (GSI) और ओडिशा सरकार के संयुक्त प्रयासों से ओडिशा के चार जिलों में लगभग 10-20 मीट्रिक टन सोने के भंडार की खोज की गई है जिससे भारत के खनन क्षेत्र में एक नई उम्मीद जगी है, इस खोज में देवगढ़ (अदासा-रामपल्ली), सुंदरगढ़, नबरंगपुर, क्योंझर, अंगुल और कोरापुट जैसे जिलों में सोने की मौजूदगी के बारे में बताया गया है. इसके अलावा मयूरभंज, मलकानगिरी, संबलपुर और बौद्ध जिलों में अभी भी GSI   का काम चल रहा है. इन क्षेत्रों में GSI ने G3 स्तर की प्रारंभिक जांच पूरी कर ली है और अब G2 स्तर की गहराई वाली जांच की जा रही है. भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (जीएसआई) ने ओडिशा के आदासा-रामपल्ली जैसे क्षेत्रों में प्रारंभिक अन्वेषण (जी3) से लेकर विस्तृत सैंपलिंग और ड्रिलिंग (जी 2) तक की प्रक्रिया को तेज किया है ।

भारत हर साल लगभग 700 से 800 मीट्रिक टन सोना आयात करता है, जबकि 2020 के अनुसार घरेलू उत्पादन मात्र 1.6 टन प्रति साल ही है. ओडिशा में मिले भंडार से आयात पर निर्भरता में थोड़ी कमी आ सकती है और राज्य सरकार और उड़ीसा माइनिंग कॉर्पोरेशन मिलकर व्यावसायिक रूप दे देते हैं तो राज्य के युवाओं को रोजगार मिलेगा जिससे बेरोजगारी के दर में काफी गिरावट आएगी एवं साथ ही विविध खनिज संसाधनों की मौजूदगी से राजस्व में स्थिरता बनी रहेगी। 

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