Today Thursday, 21 August 2025

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​चीन के निर्णय से भारत उत्साहित



भारत-चीन द्विपक्षीय संबंधों के लिए एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम में, चीन ने घोषणा की है कि उसने भारत को उर्वरकों, दुर्लभ मृदा (चुंबक और खनिजों सहित) और सुरंग खोदने वाली मशीनों (टीबीएम) पर निर्यात प्रतिबंध हटा दिए हैं क्योंकि इस प्रकार के प्रतिबंध भारत के लिए चिंता का विषय रहे हैं, खासकर विदेश मंत्री एस. जयशंकर द्वारा पिछले महीने एक बैठक के दौरान अपने चीनी समकक्ष वांग यी के साथ इस मुद्दे को उठाया था ।
पहले के प्रतिबंधों के कारण भारत इन महत्वपूर्ण वस्तुओं की आपूर्ति में व्यवधान का सामना कर रहा था हालांकि प्रतिबंध हटाने के कारण को स्पष्ट रूप से नहीं बताया गया है, प्रतिबंध हटाना संभवतः चीन द्वारा भारत के साथ तनाव कम करने और व्यापार संबंधों को बेहतर बनाने का एक कदम हो सकता है और ऐसा कदम एक व्यापक वैश्विक आर्थिक तनाव के माहौल के बीच आया है, जहाँ दोनों देश अमेरिका द्वारा अत्यधिक शुल्क लगाने से व्यापार में चुनौतियों का सामना कर रहे हैं।

इस निर्णय से भारत कृषि क्षेत्र पर व्यापक प्रभाव पड़ेगा जिसमे भारत यूरिया और अन्य उर्वरकों का एक प्रमुख आयातक है, जबकि चीन एक महत्वपूर्ण आपूर्तिकर्ता है। प्रतिबंधों को हटाने से कृषि उत्पादकता और खाद्य सुरक्षा से जुड़ी चिंताओं के कम होने की उम्मीद है।

प्रतिबंधों के हटने से भारत में इलेक्ट्रिक वाहन और नवीकरणीय ऊर्जा सहित विभिन्न उच्च-तकनीकी उद्योगों के क्षेत्रों में भारत की विनिर्माण की क्षमता बढ़ सकती हैं और सुरंग खोदने वाली मशीनें जिसमें मेट्रो निर्माण जैसी भारत की बुनियादी ढांचा के विकास परियोजनाओं के लिए टीबीएम अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। चीन से टीबीएम के पुनः आगमन से  इन परियोजनाओं में तेजी लाई सकता है।

इस घटनाक्रम को दोनों देशों के बीच संबंधों को सामान्य बनाने की दिशा में एक सकारात्मक कदम के रूप में देखा जा रहा है और खबर यह भी है कि इन वस्तुओं की शिपमेंट पहले ही शुरू हो चुकी है और इस खबर के बाद भारत में उर्वरक शेयरों में तेजी देखी गई, जो बेहतर व्यापार परिदृश्य के बारे में निवेशकों की आशा को दर्शाता है। भले भारत और चीन दोनों ही एक जटिल भू-राजनीतिक परिदृश्य से जूझते रहेंगे लेकिन दोनों ने ही भविष्य के दृष्टिकोण को देखते हुए एक सकारात्मक कदम उठाया है एवं साथ ही दोनों देश अपनी निर्भरता कम करने की रणनीतियों पर भी विचार कर रहें है, जिसमें घरेलू दुर्लभ मृदा भंडार विकसित करना और अन्य देशों के साथ संयुक्त उद्यमों की संभावनाएँ तलाशना शामिल है।

पिछले वर्ष चीन के शीर्ष व्यापारिक साझेदार (आयात + निर्यात):

1. संयुक्त राज्य अमेरिका: $688.3B
2. दक्षिण कोरिया: $328.1B
3. जापान: $308.3B
4. ताइवान: $293B
5. वियतनाम: $260.7B
6. रूस: $244.8B
7. ऑस्ट्रेलिया: $211.3B
8. मलेशिया: $212B
9. जर्मनी: $201.9B
10. ब्राज़ील: $188.2B
11.   इंडोनेशिया: $147.8 बिलियन
12. भारत: $138.5 बिलियन
13. थाईलैंड: $134 बिलियन
14. सिंगापुर: $111.1 बिलियन

(चीन का राष्ट्रीय सांख्यिकी ब्यूरो, 2024)

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