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ओणम उत्सव समापन की ओर
केरल:
केरल के विभिन्न हिस्सों में विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों के साथ ओणम उत्सव का समापन हो रहा है और इस उत्सव में सबसे मशहूर मुख्य लोक कला के अन्तर्गत त्रिशूर में प्रसिद्ध पुलिकल्ली का आयोजन किया गया जिसको पुलिकल्ली नृत्य या बाघ नृत्य भी कहा जाता है और यह केरल की एक प्रसिद्ध लोक कला है जिसे ओणम उत्सव के दौरान प्रदर्शित किया जाता है। इस नृत्य में कलाकार अपने शरीर पर पीले, लाल और काले रंग की पट्टियाँ लगाकर बाघों का रूप धारण करते हैं और पारंपरिक वाद्य यंत्रों जैसे चेन्दा की थाप पर नृत्य करते हैं, यह नृत्य कोच्चि के महाराजा राम वर्मा सकथन थंपुरन द्वारा लगभग 200 साल पहले शुरू किया गया था और इसका मुख्य उद्देश्य लोगों का मनोरंजन करना है। परंपरा के अनुसार, इस पुलिकल्ली, जिसका अर्थ है बाघ नृत्य है उसमें कलाकारों के शरीर पर बाघों की तरह रंग लगाकर तैयार किया जाता है।
पुलिकल्ली नृत्य ओणम उत्सव के चौथे दिन (नालम ओणम) आयोजित किया जाता है ढोल-ताशे और अन्य पारंपरिक वाद्य यंत्रों जैसे थाकिल, उडुक्कू और चेन्दा की लय पर नृत्य किया जाता है, नृत्य का मुख्य विषय बाघ का शिकार करना है, जिसमें कलाकार बाघ और शिकारी दोनों की भूमिका निभाते हैं।
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